पद्म विभूषित स्वामी रामभद्राचार्य को सागर विश्वविद्यालय प्रदान करेगा डॉक्ट्रेट की उपाधि
सागर | पद्म विभूषित 22 भाषाओं के ज्ञाता 200 से अधिक पुस्तकों के रचियता, अयोध्या राममंदिर आंदोलन के दौरान न्यायालय में 441 प्रमाण प्रसुत करने वाले, दिव्यांग विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी को मानद डी. लिट्. उपाधि प्रदान की जा रही है | सागर के डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के गौर प्रांगण में आयोजित 33 दीक्षांत समारोह में शायद यह पहला अवसर हो जब किसी मनीषी विद्वान को मानद डॉक्ट्रेट की उपाधी से सम्मानित किया जा रहा हो |
ज्ञात हो कि डॉक्टर हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, सागर का 33वां दीक्षांत समारोह 20 जून 2025 को आयोजित किया जा रहा है |विश्वविद्यालय के गौर प्रांगण में आयोजन की तैयारियां हो चुकीं हैं | इस समारोह में मुख्य अतिथि नितिन गडकरी, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री, भारत सरकार होंगे एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में मध्य प्रदेश के उपमुख्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ल एवं अतिथि के रूप में मध्य प्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत, सागर लोक सभा क्षेत्र की सांसद डॉ. लता वानखेड़े समारोह में सम्मिलित होने जा रहे हैं | दीक्षांत समारोह में सिर पर पगड़ी सजाए सलवार-कमीज और कुर्ता-पायजाम धारण करे लगभग 952 विद्यार्थी अपनी मानद उपाधी प्राप्त करेंगे |
इसी अवसर पर प्रख्यात मनीषी, रचनाकार, साहित्य एवं संस्कृत मर्मज्ञ, समाजसेवी पद्म विभूषण जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी को विश्वविद्यालय द्वारा मानद डी. लिट्. उपाधि प्रदान की जा रही है | विवि के डॉ विवेक तिवारी बताते हैं कि विश्वविद्यालय द्वारा स्वामी रामभद्राचार्य को मानद उपाधी प्रदान करना उनका सम्मान नहीं है अपितु यह हमारे सागर का गौरव और हमारे डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय का भी सम्मान है | उन्होंने बताया शायद यह अब तक हुए दीक्षांत समारोह का पहला अवसर है जब किसी पद्म विभूषण प्राप्त मनीषी विद्वान को मानद डॉक्टरेट उपाधि से सम्मानित किया जा रहा है |
संक्षिप्त मे जाने कौन हैं जगद्गुरू स्वामी रामभद्राचार्य
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिला में 14 जनवरी 1950 को ब्राम्हण परिवार जन्में | स्वामी रामभद्राचार्य बनने से पहले ये गिरधारी मिश्रा के नाम से जाने जाते थे | बचपन में ही इन्होंने अपनी आँखों की ज्योति खो दी थी | किन्तु अपनी तीक्ष्णबुद्धि से पॉच वर्ष की आयू में इन्होंने श्रीमद् भगवत गीता को मात्र 15 दिनों में सुन सुन कर याद कर लिया था |लगभग 22 भाषाओं के जानकार जिनमें फ्रेंच, अंग्रेजी, संस्कृत, हिन्दी, मैथली , पंजाबी आदि हैं | भारत के सर्वश्रेष्ठ दूसरे सम्मान पद्म भूषण, ज्ञानपीठ सहित सैकड़ों बार सम्मानित स्वामी रामभद्राचार्य ने विकलांगों के हित में एक दिव्यांग विश्वविद्यालय की भी नीव रखी | अभी एक वर्ष पूर्व भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अयोध्या पहुंचकर भगवान श्री राम चन्द्र जी के मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन कराया गया | इस अवसर पर प्रधान मंत्री मोदी जी और स्वामी रामभद्राचार्य की मुलाकात भी खूब चर्चाओं में रही |