श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जीवन के कई सारे महत्त्वपूर्ण कामों में से तीन काम ऐसे थे जो सदियों तक देश याद करेगा। देश के इतिहास को बदलने वाले यह तीन काम थे ,आजादी के पहले बंगाल का विभाजन कराना।दूसरा भारतीय जनसंघ की स्थापना और तीसरा कश्मीर के लिए आंदोलन। एक देश में दो निशान दो विधान और दो प्रधान नहीं चलेंगे । यह शब्द हैं, जनसंघ के संस्थापक और इसके पहले अध्यक्ष डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के । वहश्यामा प्रसाद मुखर्जी जिन के सपनों के कश्मीर को आज हम देख रहे हैं । भारतीय राजनीति में वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने कश्मीर को विशेष दर्जा दिए जाने के खिलाफ आवाज बुलंद की थी । उन्होंने कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने का सपना देखा था उन्होंने 370 हटाने के लिए है लड़ाई लड़ी। आज हम जिस कश्मीर को देख रहे हैं उसकी नींव श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने ही रखी थी और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के पदचिन्हों पर चलते हुए केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटा दिया। एक देश में दो निशान दो विधान दो संविधान नहीं चलेंगे इस नारे को साकार आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी की सरकार ने धारा 370 को हटा करके किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व एवं दृढ़ इच्छाशक्ति तथा गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति के कारण अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हमेश के लिए खत्म कर दिया गयाएक निशान, एक विधान, एक प्रधान का जो सपना डॉ. मुखर्जी ने देखा था, उसे प्रधानमंत्री मोदी ने साकार किया।

डॉ. मुखर्जी का कहना था, ‘एक देश में दो विधान, दो प्रधान, दो निशान नहीं चलेंगे।‘यह नारा जनसंघ और आगे चलकर भाजपा के हर कार्यकर्ता के लिए संकल्प वाक्य बना।
डॉ. मुखर्जी के पद चिन्हों पर चलते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब से देश की बागडोर अपने हाथो में ली है, तब से कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाने, भारतीय संस्कृति की शिक्षा एवं संस्कार को आधार मानते हुए सारे विश्व में इसके प्रसार के लिए वे अग्रदूत की भूमिका का निर्वहन कर रहे है।
डॉं. मुखर्जी के दृष्टिकोण एवं सकल्पों को श्री मोदी ने ‘माय इंडिया ऑफ इंडिया‘ के रूप में कई बार संसार के समक्ष भी रखा है।
नरेन्द्र मोदी सरकार ने डॉ. मुखर्जी के अखण्ड भारत के सपने को आकर देते हुए जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाकर एकदेश एकनिशान एक संविधान को लागू कर राष्ट्र उन्हें वास्तविक श्रद्धांजलि दे रहा है।
डॉ. मुखर्जी का दृष्टिकोण, मोदी सरकार के लिए एक मार्गदर्शक प्रकाश पुंज के समान है। मोदी सरकार की 11 साल से अधिक की लंबी यात्राः ’सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के विजन को मानने वाले श्यामा प्रसाद मुखर्जी के आदर्शों के अनुरूप रही है।
आजादी के बाद बनी नेहरू सरकार में डॉ. मुखर्जी को उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री बनायागया। वह सरकार का हिस्सा थे, किंतु उसी दौरान कांग्रेस सरकार द्वारा नेहरू लियाकत पैक्ट में हिंदू हितों की अनदेखी से क्षुब्ध होकर उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवकसंघचालक गुरु गोलवलकर जी से परामर्श करने के बाद डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, प्रोफेसर बलराज मधोक और पंडित दीनदयालउपाध्याय द्वारा 21 अक्टूबर 1951 को दिल्ली में भारतीय जन संघ की नींव रखी गई।

1951-52 में हुए पहले आम चुनाव में जनसंघ तीन सीटो पर चुनाव करने में सफल रहा। डॉ. मुखर्जी कोलकाता से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। विपक्ष के कई दलों ने मिलकर उन्हों लोकसभा में विपक्ष का नेता चुना। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370, परमिट सिस्टम को वह देश की एकता व अखंडता में बाधक मानते थे। इसके लिए संसद में उन्होंने कई बार आवाज उठाई।
1951-52 में पहले आम चुनाव के दौरान प्रजा परिषद और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में राजनीतिक दल-जनसंघ ने डॉ. बी. आर. अम्बेडकर की उन बातों का समर्थन किया, जिनमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने तथा राज्य को पूरी तरह से भारत के संविधान के अंतर्गत लाने संबंधी विचार रखे गए थे। यह डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और मास्टर तारा सिंह के संघर्ष का ही परिणाम था कि आधा पंजाब और बंगाल भारत का अभिन्न अंग बना रहा।

परमिट सिस्टम का विरोध करते हुए उन्होंने जम्मू-कश्मीर में बिना परमिट आने का निर्णय किया।

जम्मू में प्रवेश के साथ ही उन्हें हिरासत में ले लियागया, गिरफ्तारी के 40 दिन बाद 23 जून 1953 को श्रीनगर के राजकीय अस्पताल में रहस्यमयी तरीके से भारत माता के महान पुत्र डॉ. मुखर्जी के मृत्यु हो गई। गांधी जी और सरदार पटैल के अनुरोध पर वे भारत के पहले मंत्रिमंडल में शामिल हुए। उन्हे उद्योग जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गयी। संविधान सभा और प्रान्तीय संसद के सदस्य और केन्द्रीय मंत्री के नाते उन्होंने शीघ्र ही अपना विशिष्ट स्थान बना लिया। किन्तु उनके राष्ट्रवादी हितों की प्रतिबद्धता को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानने के कारण उन्होंने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने एक नई पार्टी बनायी जो उस समय विराधी पक्ष के रूप में सबसे बड़ा दल था।
जब कभी भारत की एकताअखंडता एवं राष्ट्रीयता की बात होगी तब-तब डॉ. मुखर्जी द्वारा राष्ट्रजीवन में किये गए योगदान की चर्चा अवश्य होगी। भारतीय जनता पार्टी श्यामा प्रसाद मुखर्जी को अपना आदर्श मानती है। इसलिए बीजेपी का यह प्रमुख नारा है जहां हुए बलिदान, वह कश्मीर हमारा है। जो कश्मीर हमारा है वह सारा का सारा है ।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी का मानना था एक देश में दो निशान नहीं हो सकते हैं। प्रखर राष्ट्रवाद के पुरोधा के तौर पर आज उनको याद किया जाता है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने साल 1953 में बिना परमिट के कश्मीर का दौरा किया था। जहां उन्हें जम्मू कश्मीर के तत्कालीन शेख अब्दुल्ला सरकार ने गिरफ्तार कर लिया था। इसी दौरान रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मौत हो गई। जिसके बाद खूब हंगामा हुआ। और अंत में जवाहरलाल नेहरू ने कश्मीर से परमिट सिस्टम को हटा दिया। देश की आजादी के बाद जब संविधान सभा बनी तो बंगाल ने अपने प्रतिनिधि भेजे उसमें सबसे पहला नाम श्यामा प्रसाद मुकर्जी जी का उनका बहुत बड़ा योगदान है देश के संविधान को संपूर्ण बनाने में।
देश का खामी खादी ग्राम उद्योग बोर्ड की स्थापना श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने की थी ।

श्यामा प्रसाद जी ने सन 1917 में प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया. सन 1921 में उन्होंने बीए (ऑनर्स) की परीक्षा अंग्रेजी विषय के साथ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी, उस वक्त विश्वविद्यालय स्तर पर अंग्रेजी का ही दबदबा “था, लेकिन देश प्रेम की अटूट भावना ने श्यामा प्रसाद को एम ए. में अंग्रेजी विषय पढ़ने से रोक दिया, अब तक वे भली-भांति समझ चुके थे कि अंग्रेजी भाषा को प्रोत्साहन देने का मतलब है, अपनी स्वयं की भाषा और संस्कृति को भूल जाना, सच्चे हिंदुस्तानी होने का परिचय देते हुए, उन्होंने अंग्रेजी भाषा के स्थान पर भारतीय भाषा को अपना विषय बनाया।
श्यामा प्रसाद जी हिंदू महासभा के भी अध्यक्ष बने और जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सामने हिंदू महासभा का प्रस्ताव आया तब स्वयं महात्मा गांधी जी ने श्यामा प्रसाद जी को कहा था कि आपने यह प्रस्ताव तत्काल स्वीकार कर लेना चाहिए क्योंकि पंडित मदन मोहन मालवीय के बाद अगर हिंदू समाज का कोई नेतृत्व कर सकता है। तो श्यामा प्रसाद मुकर्जी आप ही हो कि हिंदू समाज का प्रतिनिधि कर सकते हो, मालवे जी के बाद अगर हिंदू समाज का प्रतिनिधित्व करने की श्रद्धा स्वयं गांधी जी को श्यामा प्रसाद मुखर्जी पर थी।भारतीय राष्ट्रवाद के प्रणेता, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर राष्ट्र द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के अवसर पर, आइए हम एक गौरवशाली और मजबूत राष्ट्र से जुड़े उनके महान विचारों व ज्ञान को याद करें।

पूर्व मृहमंत्री खुरई विधायक भूपेन्द्र सिंह

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