
425 किग्रा वजन उठाकर सागर की बेटी ने जापान में देश को दिलाया कांस्य पदक, विधायक शैलेंद्र कुमार जैन ने सपत्नीक किया सम्मान
सागर। हिमेजी जापान में चल रही एशिया अफ्रीका पेसिफिक अंतरराष्ट्रीय पॉवर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में सागर की बेटी आयुषी अग्रवाल ने 425 किलोग्राम वजन उठाकर देश को कांस्य पदक दिलाया है। उन्हें यह पदक बेंच प्रेस इवेंट में हासिल हुआ, इस अवसर पर रामबाग मंदिर से तीन बत्ती तक एक भव्य स्वागत रैली का आयोजन किया गया | रैली में मुख्य रूप से विधायक शैलेंद्र कुमार जैन उनकी धर्मपत्नी श्रीमती अनु जैन नगर निगम अध्यक्ष वृंदावन अहिरवार एवं बेटी आयुषी के पिता अशोक अग्रवाल, भाई यश अग्रवाल सहित पूरा परिवार उपस्थित था । विधायक ने कहा कि यह सागर के लिए अति गौरव की बात है । जब हमारी बेटी ने जापान में जाकर पूरे भारत सहित सागर शहर का नाम रोशन किया है | यह महिला सशक्तिकरण का एक बहुत बड़ा उदाहरण है। उल्लेखनीय है कि सागर के सराफा व्यापारी अशोक अग्रवाल की बेटी आयुषी की इस सफलता से परिवार और मित्रों में हर्ष का माहौल है। आयुषी ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में पदक हासिल कर न केवल अपने परिवार बल्कि शहर और देश का मान बढाया है। इतना ही नहीं बुंदेलखंड के इतिहास में यह पहली बार है जब महिला खिलाड़ी ने पॉवर लिफ्टिंग इवेंट में अंतरराष्ट्रीय पदक जीता है। वहीं आयुषी ने अपने अधिकतम 417 किलोग्राम वजन के रिकॉर्ड को भी तोड़ते हुए नया मुकाम हासिल किया है। आयुषी का कहना है कि उनकी इस सफलता के पीछे 3 साल से चल रही कड़ी मेहनत और कोच शैलेंद्र एडविन का मार्गदर्शन है। वहीं अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में पदक जीतने के बाद आयुषी का लक्ष्य वर्ल्ड चैंपियनशिप और कॉमन वेल्थ गेम्स में देश को स्वर्ण पदक दिलाना है। इसकी तैयारी में वे सागर लौटते ही जुट जाएंगी।
पॉवर लिफ्टिंग सीखने के लिए रोज तय करती थीं 160 किमी का सफर :
आयुषी बताती हैं कि उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए 3 साल पहले जिम ज्वाइन किया था। इसी दौरान इन्हें पॉवर लिफ्टिंग खेल के बारे में जानकारी मिली। जिसके बाद आयुषी का रुझान इस खेल की ओर बढ़ा। शुरुआत में जिला स्तरीय और संभाग स्तरीय खेलों में सफलता भी हासिल हुई। लेकिन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की तैयारी के लिए सागर में सुविधाओं का अभाव था। जिसके बाद उन्होंने सागर से 80 किमी दूर बीना में रहने वाले कोच शैलेंद्र एडविन से संपर्क किया और वे आयुषी को प्रेक्टिस कराने के लिए तैयार हो गए। लेकिन इसके लिए आयुषी को हर दिन सागर से बीना और बीना से सागर करीब 160 किमी का सफर तय करना होता था। आयुषी की दिन रात की मेहनत का नतीजा है कि उन्हें यह मुकाम हासिल हुआ है।