
एक लोटा जल से एक साथ होता है 108 शिवलिंगों का अभिषेक
धर्मेन्द्र सिंह राजपूत सागर/राहतगढ़ | मध्यप्रदेश के सागर जिले के राहतगढ़ कसबे मै करीब 900 वर्ष प्राचीन अद्धभुत शिव मंदिर है जिसमें एक जलहरी मैं एक सौ आठ शिवलिंग स्थापित हैं हिन्दू धर्म में सावन महीने भगवान शिव के पूजन का महीना माना जाता है पुराणों के अनुसार श्रावण मास में शिव पूजा विशेष फलदायी होती है | यूं तो सारे भारत वर्ष में भगवान शिव के अनेकों प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर मठ मौजूद है जिनमे अनेक स्थान बहुत प्रसिद्ध है लेकिन देश में कुछ धार्मिक स्थल ऐसे हैं जहां के बारे में लोग बहुत कम जानकारी रखते हैं और ऐसे धार्मिक स्थलों में कुछ अत्यंत दुर्लभ स्थल है |
भगवान शिव का ऐसा ही एक प्राचीन और अद्भुत शिवलिंग सागर जिले के राहतगढ़ में विराजित है | जिले की पश्चिमी दिशा में सागर से 35 किलोमीटर दूर सागर भोपाल रोड पर स्थित है जो अपनी ऐतिहासिक रहस्य और रोमांच से भरी विरासतों के लिए जाना जाता है इस कस्बे को राहतगढ़ नाम मुगलकाल में मिला जिसका अर्थ होता है शांति का गढ़ या स्थल इसके प्राचीन इतिहास की स्थानीय स्तर पर नही मिलती पर लोग इस नगर को महाभारत कालीन तथा मध्यकाल में आल्हा ऊदल के समय से जोड़ते हैं वैसे ऐतिहासिक जानकारी के हिसाब से यहां कभी परमार चंदेल उसके बाद गौंड राजाओं का तथा मुगलों का आधिपत्य रहा 18वी शताब्दी में यह सिंधिया के हाथ में चला गया बाद में अंग्रेजों के कब्जे में रहा इसी ऐतिहासिक नगर में बीना नदी जिसे पुराणों में *बीणा पाणिनि**कहा गया है के तट पर भोलेनाथ का मंदिर बना हुआ है | स्थानीय लोग इसमे विराजित शिवलिंग को भगवान विश्वनाथ कहते हैं | पूर्णतः वास्तु शास्त्र के हिसाब से पत्थर से निर्मित इस मंदिर में अनेकों विशेषताएं है मंदिर के प्रवेश द्वार पर नंदी विराजे हैं बही गर्भ गृह में शिवलिंग स्थापित है | यहां स्थापित शिवलिंग को एक ही पत्थर पर निर्मित किया गया है मुख्य शिवलिंग की जलहरी में छोटे छोटे 108 पूर्ण शिवलिंग स्थापित हैं हिन्दू मान्यताओं में ऐसे शिवलिंग को दुर्लभ कहा गया है | शिवलिंग की विशेषता बताते हुए यहां पिछली पीढ़ियों से पूजन करने वालो के वंसज तथा वर्तमान पुजारी बबलू महराज बताते है कि इस शिवलिंग पर एक लोटा जल चढ़ाने से 108 शिवलिंगों का स्वतः अभिषेक हो जाता है तथा मंदिर की एक परिक्रमा करने से 108 परिक्रमा का फल प्राप्त होता है |
जानकार लोग इस शिवमंदिर के इतिहास के बारे में ज्यादा जानकारी तो नही बता पाते पर उनका कहना है कि यह किले के राजाओं द्वारा बनवाया गया था जिस हिसाब से।मंदिर 1 हजार वर्ष से भी ज्यादा प्राचीन बताया जाता है |सावन मास के प्रत्येक सोमवार को तथा महाशिवरात्रि पर बड़ी संख्या में यहां दर्शन करने वाले श्रद्धालु पहुंचते है -सम्पूर्ण भारतवर्ष मैं वेसे तो शिव के अनेकानेक रूप के मंदिर और मठ हैं परन्तु इस प्रकार का स्थान अन्यन्त दुर्लभ है |