भगवान शिव केवल एक योगी ही नहीं, बल्कि संसार की रचना, स्थिति और संहार करने वाली महाशक्ति भी हैं। उनके विवाह से जुड़ी कहानियों में कई प्रकार की व्याख्याएं मिलती हैं, जो विभिन्न युगों और पुराणों में वर्णित हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की कुल कितनी शादियाँ हुईं?

पुराणों के अनुसार भगवान शिव ने तीन प्रमुख विवाह किए जिसमें माता सती राजा दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं |माता पार्वती राजा हिमालय और मैना की पुत्री थीं और महागौरी, काली और माता उमा देवी पार्वती के ही विविध रूप हैं | हालांकि यह सभी रूप एक ही शक्ति – आदिशक्ति के रूप माने जाते हैं। भगवान शिव ने माता आदिशक्ति के ही विभिन्न रूपों से अलग-अलग समय पर विवाह किए । युगों पहले की बात है मता सती और शिव के विवाह के विषय में शिव पुराण, पद्म पुराण, देवी भागवत कथा में वर्णित है कि देवी सती भगवान ब्रह्मा के पुत्र दक्ष प्रजापति की कन्या थीं। उन्होंने घोर तपस्या करके भगवान शिव को अपने पति रूप में प्राप्त किया था। भगवान शिव और सती का विवाह अत्यंत भव्यता से किया गया था। लेकिन दक्ष प्रजापति भगवान शिव के औगड़दानी और भूत पलीतों से सुसज्जित रूप को पसंद नही करते थे | प्रजापती दक्ष हर समय शिव जो को अपमानित करता था | एक बार उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया, अपनी पुत्री और दामाद शिव जी को निमंत्रण नहीं दिया। फिर भी देवी सती अपने पिता के यहां यज्ञ में बिना आमंत्रण के पहुंच गईं | लेकिन उनके पिता द्वारा भगवान शिव के अपमान से आहत होकर उन्होंने हवन कुंड में कूदकर प्राण त्याग दिए। इस घटना से शिव अत्यंत क्रोधित हो उठे, वीरभद्र को उत्पन्न कर दक्ष का यज्ञ विध्वंस करवा दिया। पुराणों के हिसाब से यह माना जाता है कि त्रेतायुग के पूर्व भगवान शिव-पार्वती का विवाह माना जाता है।

पार्वती और शिव का विवाह
शिव पुराण, स्कंद पुराण, कालिका पुराण के हिसाब से सती के आत्मदाह के बाद भगवान शिव योगी बनकर हिमालय पर तप करने लगे। पार्वती के रूप में हिमालय और मैना के घर एक बालिका का जन्म हुआ। उन्होंने शिव को पुनः पाने के लिए घोर तप किया। जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया | तारकासुर नामक राक्षस को वरदान था कि केवल शिव-पुत्र ही उसे मार सकता है। लेकिन भगवान शिव ध्यान मग्न थे | इसलिए देवताओं ने कामदेव को भेजा जो शिव की तपस्या भंग करने में सफल हुआ, परंतु भगवान शिव ने नाराज होकर कामदेव को भस्म कर दिया। विवाह के पश्चात भगवान कार्तिकेय और भगवान गणेश का जन्म त्रेतायुग में हुआ | जिन्होंने तारकासुर का बध किया | अन्य रूपों में भगवान शिव का विवाह महागौरी, उमा, अन्नपूर्णा, भ्रामरी देवी आदि के साथ भी शिव के विवाह की कथाएं मिलती हैं, परन्तु यह सभी पार्वती का ही रूप मानी जाती हैं।
महागौरी: पार्वती ने कठिन तप से अपने रूप को उज्ज्वल किया, तब वह महागौरी बनीं और शिव ने उनसे पुनः विवाह किया।

काली रूप: राक्षसों के वध के बाद देवी अत्यंत उग्र हो गईं। शिव उनके सामने लेट गए, भगवान शिव को अपने सामने लेटा देखकर उन्होंने अपने रूप को शान्त किया | भगवान शिव ने फिर इसी काली रूप से पुनः विवाह किया |

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