Amitkrishna
सुना है पाकिस्तान में गधों के भाव आसमान छू रहे हैं | सही भी है, गधों के भाव बड़ें भी क्यों नहीं ? आखिर आका ने उनकी पीठ पर हाथ जो रख दिया है ! गधों का जो काम है उन्हें करना तो वही होगा, लेकिन व्हीआईपी ट्रीटमेंट ने सिर पर ताज सजा दिया है |
वहीं दूसरी तरफ हमारे देश का कल्चर भी बडा निराला है | यहां गधों-घोड़ों में फर्क नहीं होता | यहाँ चर्णामृत पेयी कीट पतंगे उड़ते भी बहुत हैं और फड़फड़ाते भी बहुत हैं | खैर हम घोड़ों की बात करते हैं | कुछ दिन पहले बड़े जोरों से मुनादी पिटवाई गई थी कि घोड़े जो दौड़ने वाले हैं वो तो ठीक हैं किन्तु लंगड़े घोड़ों की अब छुट्टी होने वाली है | और ठीक भी है, घोड़ा जब तक दौड़े काम का, नहीं तो मुफ्त में खिलाना-पिलाना बेकार | अंग्रेजों और नवाबों के जमाने में तो लंगड़े घोड़ों को गोलियां खानी पड़ती थीं ! अब गालियों से काम चलाया जा रहा है | शुक्र मनाओं की अब नवाबों की हुकूमत नहीं है | अवसरवादी एक धड़े के कानों में मुनादी की जैसे ही भनक पड़ी सो तुरंत कान खड़े हो गए | सोचा लोहा गर्म है अभी हथौड़ा पीट दो | आनन-फानन में लंगड़ों को लिस्टेड़ किया जाने लगा मतलब सूचियां तैयार होने लगीं | यहीं एक लोचा भी हो गया, लंगड़ों के चक्कर में बूड़ों का भी काम पूरा हो गए | घोड़ों की बिरादरी में बहस छिड़ गई है | किसी ने कहा भई अब वो जमाना नहीं रहा जब बूढ़ों के बिना बारात भी नहीं सजती थी | बूढ़ों को टिपारों में छिपा कर लाया जाता था | कई लंगड़े और बूढ़े अपने भाई भतीजों को समझाते फिर रहे हैं कि आज जो हस्र हमारा हो रहा है, कल यही दिन तुम्हारा भी आ सकता है | वहीं मुनादी के बाद एक और समस्या आन पड़ी है कि अब यहाँ कोई लंगड़ा घोड़ा नजर नहीं आ रहा है | युवाओं की फौज का नेतृत्व भी युवा ही कर रहे हैं | एक तरफ मैदान तैयार है, रेस चल रही है, दूसरी तरफ के घोडे दूसरों की टांगे टटोलने में भिड़े हैं | टूटी टांग और लंगड़े घोड़े के चक्कर में कई दौड़ते और नए नवेले घोड़े एनेस्थीसिया देकर बेहोश कर दिए जा रहे हैं | कई ने तों टांगों का चेकअप कराने बाकायदा विशेषज्ञों की भर्ती प्रक्रिया शुरू भी कर दी है | इस कवायद में कुछ को यह भी कहते सुना गया है कि टूटी टांगों मतलब लंगड़े घोड़ों की छटाई का सिलसिला ऊपरी माले से होना फायदे का सौदा साबित हो सकता है | भई यहां यह भी कमाल की बात है कि रेस में दौड़ कोई नहीं रहा सबको बस लंगड़ों की फिक्र लगी है | तो कुछ परेशान है कि इन अडियल टट्टुओं की लगाम कौन थामेगा | आखिर दुलत्ती का डर भी तो कोई चीज है |
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