कैलाश पर्वत केवल एक पर्वत नहीं, बल्कि एक अलौकिक, आध्यात्मिक और ब्रह्मांडीय शक्ति का प्रतीक है।
यह भगवान शिव का साक्षात धाम है, जहां से वे ध्यान, तप और सृष्टि के संचालन में लीन रहते हैं। पुराणों और धर्मग्रंथों में इसके दिव्य स्वरूप का जितना वर्णन किया गया है, वह इसे केवल एक भूगोलिक स्थान नहीं, बल्कि ईश्वर की चेतना का केंद्र सिद्ध करता है। स्कंद पुराण, शिव पुराण, और रामायण जैसे ग्रंथों में कैलाश पर्वत को ब्रह्मांड का केंद्र बताया गया है। यह पर्वत मेरु पर्वत के रूप में वर्णित है, जो संपूर्ण विश्व की धुरी है।पुराणों के अनुसार भगवान शिव अपने परिवार माता पार्वती, गणेश और कार्तिकेय सहित कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं। यह स्थान उनकी तपस्या, ध्यान और समाधि का केन्द्र है। भगवान शिव को एकांत, शांत, निर्जन और दिव्य स्थान प्रिय है, और हिमालय की गोद में स्थित कैलाश पर्वत इस प्रकृति का सबसे उपयुक्त स्थान है। कहीं कहीं वर्णित है कि भगवान श्री राम चन्द्र जी की ने कैलाश पर्वत पर भगवान शिव की आराधना की थी। साथ ही यह वर्णन भी मिलता है कि भीम और युधिष्ठिर ने कैलाश यात्रा की थी | बताया जाता है कि कैलाश पर्वत से चार नदियों का उद्गम सिंधु, ब्रह्मपुत्र, सतलुज और करनाली। हिमालय को पर्वतों के राजा के रूप माना जाता है | और कैलाश को हिमालय का पुत्र कहा जाता है | हिमवान की पत्नी का नाम मेनावती था। वह एक गंधर्वकन्या थीं, जो दिव्य गुणों और तेजस्विता से भरपूर थीं। इन दोनों का विवाह ब्रह्मा जी की प्रेरणा से हुआ था | हिमवान और मेनका की पुत्री देवी पार्वती व उनके पुत्र कैलाश बताए जाते हैं | माता पार्वती का जन्म भगवान शिव से पुनः विवाह के लिए हुआ था |
पौराणिक कथाओं में बताया जाता है कि पूर्व जन्म में सती, दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं। पिता द्वारा भगवान शिव का अपमान किये जाने के बाद उन्होंने हवन कुंड में कूदकर अपना जीवन का अंत कर लिया था | दूसरे जन्म में माता पार्वती ने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया।
जब भगवान शिव विवाह हेतु हिमवान के पास आए, तब हिमवान ने अत्यंत श्रद्धा और सम्मान से उनका स्वागत किया और अपनी पुत्री का विवाह कर किया। भगवान हिमालय के त्याग और तपस्या से बहुत प्रसन्न थे | हिमालय ने अपने पुत्र को भगवान शिव की सेवा में सदैव के लिए नियुक्त कर दिया | जब भगवान शिव बारात लेकर हिमालय पहुंचे तो वह बारात अद्भुत थी — भूत, प्रेत, गण, योगी, नाग, तांत्रिक, आदि। पहले मेनका भयभीत हो गईं, लेकिन फिर उन्होंने शिवजी के दिव्य रूप को देखा और विवाह सम्पन्न हुआ। पुराणों के अनुसार भगवान शिव अपने परिवार माता पार्वती, गणेश और कार्तिकेय सहित कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं। शिवजी को एकांत, शांत, निर्जन और दिव्य स्थान प्रिय है, और हिमालय की गोद में स्थित कैलाश पर्वत इस प्रकृति का सबसे उपयुक्त स्थान है। स्कंद पुराण, शिव पुराण, और रामायण जैसे ग्रंथों में कैलाश पर्वत को ब्रह्मांड का केंद्र बताया गया है। यह पर्वत मेरु पर्वत के रूप में वर्णित है, जो संपूर्ण विश्व की धुरी है। अनेक देवता और सिद्ध ऋषि भगवान शिव के दर्शन के लिए कैलाश पर जाते हैं।

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