“भगवान शिव के गले में विराजे विषधर कौन हैं? | आखिर क्या है रहस्यमयी कहानी का राज?”
हम सभी जानते हैं कि श्रृष्टि में भगवान शिव को प्रकृति का रूप माना गया है | जो अजर हैं, अमर हैं, जिनका न तो आदि है और न ही अंत है | ऐसे परम योगी के गले में सदा एक विषधर लिपटा फुंफकारता रहता है | हम सभी के मन में विचार आता है…